मैं लोकतंत्र का जनक, शांति समृद्धि स्वरूप ज्ञान का सूत्रधार हूँ ।
हाँ मैं बिहार हूँ.. हाँ मैं बिहार हूँ ।।
मैं सनातनता, महावीर, बुद्ध का बोध भारती माँ का अनूठा श्रृंगार हूँ ।
हाँ मैं बिहार हूँ.. हाँ मैं बिहार हूँ ।।
मैं विश्वकर्मा निर्मित विष्णुपद अनभ्यस्त, पूर्वजों पर भी करता परोपकार हूँ ।
हाँ मैं बिहार हूँ.. हाँ मैं बिहार हूँ ।।
मैं जन्मभूमि माता जानकी की, मिथिला का संस्कार, गंगा की फुहार हूँ ।
हाँ मैं बिहार हूँ.. हाँ मैं बिहार हूँ ।।
मैं पाणिनि का व्याकरण, आर्यभट का शून्य, चाणक्य का अर्थशास्त्र, दशरथ मांझी का प्यार हूँ ।
हाँ मैं बिहार हूँ.. हाँ मैं बिहार हूँ ।।
मैं वीर कुँवर सिंह का साहस, खुदीराम का पूसा रामधारी का राष्ट्रकवि दिनकर हूँ ।
हाँ मैं बिहार हूँ.. हाँ मैं बिहार हूँ ।।
मैं प्रथम राष्ट्रपति का जन्म स्थल, मगही मैथिली भोजपुरी की पुकार, लिट्टी-चोखा का डकार हूँ ।
हाँ मैं बिहार हूँ.. हाँ मैं बिहार हूँ ।।
मैं गाँधी की कर्मभूमि, प्रथम बुनियादी विद्यालय चम्पारण का बड़हरवा लखनसेन ग्राम हूँ ।
हाँ मैं बिहार हूँ.. हाँ मैं बिहार हूँ ।।
मैं छठी मइया की कृपा पात्र, डूबते सूर्य का भी करता सत्कार हूँ ।
हाँ मैं बिहार हूँ.. हाँ मैं बिहार हूँ ।।
मैं संस्कृति संस्कार का संवहक, छल कपट से बिल्कुल परे, करता दुश्मनों को भी नमस्कार हूँ ।
हाँ मैं बिहार हूँ.. हाँ मैं बिहार हूँ ।।
✍ प्रत्यूष गौतम
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