मैं ऋग्वेद की ऋचाओं का स्वर, यजुर्वेद की यज्ञ-आहुति,
सामवेद की गूंजित तान, अथर्ववेद का जीवन-विधान,
ध्यान में डूबा कर्मयोगी, सनातन का विस्तार हूँ,
हाँ, मैं जम्बूद्वीप का भारतवर्ष, आर्यावर्त – हिन्दुस्तान हूँ!!
मैं शिव की तपोभूमि, सती की अनाहत ज्वाला,
राधा-रुक्मिणी की माधुर्य-भक्ति, सियाराम की धर्म-शुचिता।
गुरु नानक–तुलसी की वाणी, श्रीकृष्ण का रास और रण हूँ,
हाँ, मैं जम्बूद्वीप का भारतवर्ष, आर्यावर्त – हिन्दुस्तान हूँ!!
मैं विज्ञान का नव-सृजन, शोध का अखंड प्रतीक,
सिन्धु की सभ्यता का उद्गम, गंगा-ब्रह्मपुत्र की निर्मल धार,
सीमा पर अडिग जवानों का अमर-संकल्पदीप हूँ,
हाँ, मैं जम्बूद्वीप का भारतवर्ष, आर्यावर्त – हिन्दुस्तान हूँ!!
मैं पूर्व का अरुणप्रभा आंचल, पश्चिमोत्तर के रेत में लहराता थार,
पूर्वोत्तर की बाँसुरी तान, पश्चिम का सीमापाल,
उत्तर की पर्वत-चोटी, दक्षिण की वन्दनवार हूँ,
हाँ, मैं जम्बूद्वीप का भारतवर्ष, आर्यावर्त – हिन्दुस्तान हूँ!!
मैं महर्षि कश्यप की तपस्थली, शारदा की वैदिक ज्योति,
कंचनजंघा की हिम-आभा, पैंगोंग में प्रतिबिंबित ध्यानधारा ।
मैं कारगिल की चुप्पी में गूँजता, उद्घोष गर्जना "यह दिल मांगे मोर" हूँ,
हाँ, मैं जम्बूद्वीप का भारतवर्ष, आर्यावर्त – हिन्दुस्तान हूँ!!
मैं इन्द्रप्रस्थ की महाभारत कथा, कोणार्क का सूर्य मंदिर रथ,
कामाख्या में शक्ति की धारा, प्राची से प्रतीची तक विस्तृत धरा ।
उज्जयिनी कालगणना का मूल, काशी का कोतवाल हूँ,
हाँ, मैं जम्बूद्वीप का भारतवर्ष, आर्यावर्त – हिन्दुस्तान हूँ !!
मैं विन्ध्याचल से नर्मदातीरे, कलिंग युद्ध का करुणामय अशोक
चम्पारण का सत्याग्रह, मगध में चाणक्य-चन्द्रगुप्त की जोड़ी ।
नालंदा ज्ञान का ज्यों सूर्यमुख, बोधगया की वंदना और निर्वाण हूँ,
हाँ, मैं जम्बूद्वीप का भारतवर्ष, आर्यावर्त – हिन्दुस्तान हूँ !!
मैं रामेश्वर की चरणधूलि, सबरीमला की आस्था-भक्ति,
शृंगेरी की वेद-दीक्षा, श्रीपद्मनाभ का तप-संकल्प ।
नटराज के नृत्य में ब्रह्मांड, धर्मयुद्ध में पार्थ के गांडिव का टंकार हूँ
हाँ, मैं जम्बूद्वीप का भारतवर्ष, आर्यावर्त – हिन्दुस्तान हूँ!!
मैं शिवाजी का स्वराज्य-संकल्प, रायगढ़ की स्वाभिमान-गाथा,
मेवाड़ की रणगर्जना, हल्दीघाटी का तेज-प्रभा।
भगत-आजाद की क्रांति ज्योति, शौर्य-सृजन का पक्षकार हूँ।
हाँ, मैं जम्बूद्वीप का भारतवर्ष, आर्यावर्त – हिन्दुस्तान हूँ!!
मैं शांतिनिकेतन की कलानुभूति, दक्षिणेश्वर-कालीघाट की शक्ति-अर्चना,
शबर, मुंडा, संथाल की अग्निधारा, महानदी की कल-कल छाया ।
मेरठ-झांसी की रज में तेजस्विता, स्वाधीनता का प्रथम उद्गार हूँ,
हाँ, मैं जम्बूद्वीप का भारतवर्ष, आर्यावर्त – हिन्दुस्तान हूँ!!
मैं द्वारकाधीश की चरण-रेखा, काकतीयों की कीर्ति-छटा,
लुंगलेई की रमणीय लालिमा, कोंकण का लहराता नर्तन ।
त्रिपुरा की त्रिपुरसुंदरी, नागा वीरों की नारायणी धार हूँ,
हाँ, मैं जम्बूद्वीप का भारतवर्ष, आर्यावर्त – हिन्दुस्तान हूँ !!
मैं मिथिला-तंजावुर की कलाभिव्यक्ति, कैथी-देवनागरी आदि लिपि,
कांगड़ा की रंगरेखाएँ, अजंता–एलोरा की शिल्प-गाथा ।
असंख्य भाषाएँ, वेशभूषा विविध, वस्तुतः लहराता समरस समृद्धिगान हूँ,
हाँ, मैं जम्बूद्वीप का भारतवर्ष, आर्यावर्त – हिन्दुस्तान हूँ!!
- प्रत्यूष गौतम